GHANDHARVPURI PURATATV SANGHRALA
ःःःःः गंधर्वपुरी पुरात्व संग्राहलय:ःःःः
म.प्र.पुरातत्व विभाग द्वारा 1966 में गंधर्वपुरी जो सोनकच्छ तहसील देवास जिले में स्थित है, वहाॅ पर एक म्यूजियम की स्थापना की गई है, क्योंकि यहाॅ पर जहाॅ भी खुदाई करते थे तो मूर्तियां निकल आती थी और अत्याधिक संख्या में मूर्तियां निकलने के कारण यहाॅ म्यूजियम की स्थापना की गई है। इनमें बुद्व कालीन, जैन कालीन, गुप्तकालीन आदि मूर्तियां हैं।
राजा गंधर्व सेन चम्पाबती के पुत्र थे। गंधर्व सेन को गंर्दभी भी कहते हैं। उनके बारे में यह किदवंती है कि वे दिन में गधे और रात्रि में राजकुमार हो जाते थे तथा गधा मनुष्य भाषा में बात करता था।
इस बात का पता चलने पर वहाॅ के राजा की पुत्री ने गंधर्व सेन से विवाह कर लिया था और राजा को जब इस बात का पता चला तो उसने यह सोचकर कि गंधर्व सेन मनुष्य रूप में रहेगा उस चमत्कारिक खोल को जला दिया उसके बाद एक धूल भरी आंधी आई और उसमें पूरा बसा बसाया नगर समा गया। बाद में कालांतर में गंधर्व नगरी खुदाई में प्राप्त हुई जिसमें भगवान बुद्ध, महावीर, विष्णु आदि की लगभग 300 मूर्तियां प्राप्त हुई हैं।
इन मूर्तियों में लिखा हुआ चामुंडा शेष शाही विष्णु, भगवान गणेश कृष्ण जन्म की विलक्षण मूर्तियां मौजूद है। वीणाधारी शिव, उमा महेश्वर, तपस्विनी पार्वतीजी, चामुण्डा, चक्रेश्वरी, योगनारायण, हरीहर, सूर्य, कृष्ण जन्म, ब्रहमा, कार्तिकेय की अद्भुत पंचमुखी प्रतिमा, बैकुण्ठ नारायण, कुबेर, भगवान महावीर, भैरव, गजशार्दुल की प्रतिमायें रखी हैं।
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