ःःःःः गोहद का किला:ःःःः
1. अनुरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया पेसिफिक हेरिटेज अवार्ड 2017 से सम्मानित गोहद का किला ग्वालियर से 35 कि.मी. और भिण्ड से 45 कि.मी.दूर स्थित है, इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में जाट राजा महासिंह ने करवाया था, बाद में पुराना किला जीर्णशीर्ण हो जाने पर 1739 में जाट राजा भीमसिंह के द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया और इसमें ईरानी शैली में मछली, भेड, कुत्ता, तोता, हिरण, वृक्ष, कमल के फूल, हंस, हाथी, फूलपत्तियां आदि नक्कासी बनाई गई है। इसके सामने नया महल बना हुआ है, जिसका निर्माण जाट राजा छत्रपाल सिंह के द्वारा कराया गया है।
2. यह किला गोलाकार बेसली नदी के बीचोबीच स्थित है और प्राकृतिक रूप से बेसली नदी इसकी सुरक्षा करती है। यह किला 5 कि.मी. क्षेत्र में फैला है जिसके 11 दरवाजें है जिनके नाम यहाॅ के गाॅवों के नाम रखे गये हैं। किले के अंदर कमरों में प्राकृतिक रोशनी के लिए दीवारों पर छेद बनाये गये हैं। महल में घुडसाल भी है घोडे बांधने के लिए बडे-बडे पत्थर जमीन में गढे हैं। एक अनाज रखने का भूमिगत स्थान है जो बडी-बडी टंकियों के रूप में चैकोर/ टांका निर्मित है। किले के चारों ओर बसाहट है लोगों ने अतिक्रमण करके किले की जमीन पर मकान बने लिए है। किले का द्वार ईरानी शैली में निर्मित है, जो सडक से 5 कि.मी.दूर है।
ःःःःः नया महल/कचहरी महल:ःःःः
3. यह किला जाट तथा राजपूत स्थापत्य किले का उत्कृष्ट नमूना है। इसके निर्माण में ईट, पत्थर व चूने का उपयोग किया गया है। किले की दीवारों पर सफेद पत्थर, गुड़, उडद, बजरी, कौढी, सनबीज, गोंद से बने सफेद व भूरा प्लास्स्टर किया गया है।
4. नये महल का निर्माण राजा छत्रसिंह द्वारा 1780 ई. में करवाया था जिसे कचहरी महल भी कहा जाता है। पुराने समय में यहाॅ कचहरी लगती थी और कुछ दिवस पूर्व तक भी कचहरी लगती रही है। जहाॅ कचहरी का डायस, रिकार्ड रूम अभी भी बना हुआ है। कुछ शासकीय कार्यालय भी लगते थे। यह ईरानी शैली की नक्काशी के लिए प्रसिद्व है। जिसके प्लास्टर पर पेड-पौधों की उत्कृष्ट नक्काशी की गई है। इनकी खिडकियां नक्काशीदार पत्थर की नक्काशीदार बनी है। गोहद के सबसे शक्तिशाली जाट राजा थे, इनका काल गोहद के विकास का काल था और स्वर्ण युग कहलाता था।
5. गोहद किले के प्रवेश द्वार के ठीक सामने बना नया महल अत्यन्त सुंदर भव्य है। जो वर्गाकार है, इसके मध्य में विशाल आंगन तथा चारों ओर बडे-बडे आयताकार कमरे बने हुए हैं। यह महल दो मंजिला बना है प्रथम एवं द्वितीय मंजिल के संधि स्थल पर आंतरिक व बाह्य मार्ग के तोडोें पर आधारित छज्जें बने है। इसके बीचोबीच भगवान शिव का मंदिर है सामने की ओर हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा रखी है जिनकी पूजा होती है। नये किले के सामने पुरानी तोप रखी हुई है। इसके पास एक मीनार है जहाॅ से लक्ष्मण मंदिर दिखाई देता है।
ःःःःः गोहद किले के दर्शनीय स्थल:ःःःः
ःःःःः पूजा घर:ःःःः
गोहद किले के पुराने महल में अष्टकोणीय पूजाघर बना है, इसके बीचोबीच पूजा करने का स्थान है जिसके चारों ओर परिक्रमा/फेरे लगाने का स्थान कलात्मक ढंग से बना है जहाॅ यज्ञ, अनुष्ठान करते हुए परिक्रमा/फेरे लगाये जा सकते हैं।
ःःःःः नृत्य घर:ःःःः
गोहद किले में शानदार नक्काशी के साथ नृत्य महल रानी महल के पास बना हुआ है जिसमें बैठकर राजा और दरबारी नृत्य का आनंद लिया करते थे।
ःःःःः हमामखाना/स्नानघर:ःःःः
गोहद के ऐतहासिक किले में नहाने के लिए पानी को ठंडा व गर्म करने की सुविधा है। दुर्ग के अंदर हमामखाना है, जहाॅ पर गर्म पानी करने की भट्टियों से नालियों के द्वारा पानी हमामखाने में आता था। बेसली नदी से पानी लाया जाता था, पानी की नालियां आज भी नदी के मुहाने से किले तक देखने को मिलती हैं।
ःःःःः कुॅआ:ःःःः
बेसली नदी के किनारे बने किले के बुर्ज के अंदर एक विशाल कुॅआ बना है जिसमें रेहट के जरिये नालियों के माध्यम से पानी लाया जाता था, उस पानी को ठंडा व गर्म करने के लिए दो बडे टैंक बने हैं जिनमें नीचे लकडी जलाने की व्यवस्था थी और गर्म, ठंडा पानी, चीनी मिट्टी के पाईपों से हमामखानें शौचालय तक जाता था। किले के अंदर शौचालय/पाखाना भी देखने को मिलता है।
ःःःःः रानी महल:ःःःः
रानी महल में बाहरी ओर दीवारों पर ईरानी शैली में नक्काशी बनी हुई है। महल के अंदर दीवारों पर आले बने हुए हैं जिसमें रोशनी के लिए दीपक रखे जाते थे।
ःःःःः राजमहल:ःःःः
राजमहल एक बडा राजमहल है जिसमें दीवाने आम व दीवाने खास बना है। राजमहल की दीवारों पर चारों ओर जानवरों की आकृतियां, वृक्ष, कमल के फूल, पत्तियां आदि उकेरी हैं।
ःःःःः अखाडा:ःःःः
महल के बीचोबीच एक अखाडा बना हुआ है। अखाडे के बीच में गोलाकार राजा के बैठने का स्थान है जिसके चारों ओर लोगों के बैठने का स्थान है। उसके बाॅये ओर महल में प्रवेश हेतु विशाल द्वार नक्काशीदार बना हुआ है।
ःःःःः बुर्ज:ःःःः
महल के चारों ओर चार बुर्ज बने थे जिन पर नक्काशी है। बुर्ज में जाने के लिए सकरी सीढ़ियां बनी हुई है। दो बुर्ज हमलें में ध्वस्त हो गये हैं शेष दो बुर्ज वर्तमान में मौजूद है जिनसे नया बाजार दिखाई देता है, जो राजा के द्वारा लगवाया जाता था। इन बुर्जो पर तोप के गोलों के निशान बने हुए हैं।
ःःःःः मजार:ःःःः
किले के अंदर तीन मुस्लिम धर्म के अनुयाईयों के स्थान बने हुए हैं, जिनमें हजरत काले सैय्यद की मजार और दो अन्य पीर पैगम्बर की मजार मौजूद हैं, जहाॅ पर शुक्रवार को ईबादत होती है।
लेबल: GOHAD KILA