बुधवार, 22 अक्टूबर 2014

The old names of Mandore, the ancient capital of Marwar, were Maddodara, Mandowar and Mandavyapura-durga, believed to be derived from the rishi Mandavya. This town was in existence in the fourth century A.D. as revealed by early Gupta period inscriptions near the cave of Mahadarao. Local traditions hold that Mandore was first held by the Nagas, followed by the Pratiharas, the Chahamanas and the Muslim Sultans of Delhi from whom it was wrested by the Rathores. The excavations carried out in 1909-10 yielded two elaborately carved monoliths of Krishna-lila scenes. On stylistic grounds, these monoliths could be dated to early fifth century A.D. The Pratihara rulers of Mandore constructed excellent Brahmanical and Jaina temples. The Pratihara ruler Rajilla built the rampart of the fort in about the sixth century A.D. The Brahmanical temple discovered in excavations consists of sanctum perched on the summit of three high terraces which diminish in size towards the top and are ascended by flights of steps on east, north and south sides. The sanctum is datable to  the seventh or eighth century A.D. and was restored in the ninth and tenth century A.D. and again in the twelfth century A.D. This temple was originally consecrated to Vishnu. The Ghatiyala inscription of A.D. 861 reveals that the Pratihara ruler Kakkuka  constructed here a Jaina temple also.

सोमवार, 13 अक्टूबर 2014

Lord Shiva - World tallest Statue (sitting)

हवा महल










हवा महल भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक राजसी-महल है। इसे सन 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इसे किसी 'राजमुकुट' की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ता द्वारा डिजाइन किया गया था। इसकी अद्वितीय पांच-मंजिला इमारत जो ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है, बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है, जिसमें ९५३ बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियाँ हैं, जिन्हें झरोखा कहते हैं। इन खिडकियों को जालीदार बनाने के पीछे मूल भावना यह थी कि बिना किसी की निगाह पड़े "पर्दा प्रथा" का सख्ती से पालन करतीं राजघराने की महिलायें इन खिडकियों से महल के नीचे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों का अवलोकन कर सकें। इसके अतिरिक्त, "वेंचुरी प्रभाव" के कारण इन जटिल संरचना वाले जालीदार झरोखों से सदा ठंडी हवा, महल के भीतर आती रहती है, जिसके कारण तेज़ गर्मी में भी महल सदा वातानुकूलित सा ही रहता है।
चूने, लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित यह महल जयपुर के व्यापारिक केंद्र के हृदयस्थल में मुख्य मार्ग पर स्थित है। यह सिटी पैलेस का ही हिस्सा है और ज़नाना कक्ष या महिला कक्ष तक फैला हुआ है। सुबह-सुबह सूर्य की सुनहरी रोशनी में इसे दमकते हुए देखना एक अनूठा एहसास देता है।

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